एका हिंदी भाषिक धारकर्याने अनुभवलेली मोहीम...

(एका हिंदी भाषिक धारकर्याने पहिल्यांदा मोहीम अनुभवल्या नंतर आपल्याला आलेला अनुभव सांगितला. )


भिड़े गुरुजी के बारे में मैंने आज तक सुना था कि; वह साधारण सामान्य जीवन जीते है | सुख सुविधाओं का त्याग पूर्ण समर्पण निष्ठा से देश-धर्म-देव की सेवा में लगे हुए है | यह सब मेरे हुपरि के मित्र  प्रविण प्रकाश पाटील दादा के प्रेरणा से गडकोट मोहिम मे जाकर देखने मिला ....!
(धीरज कुमार रामनवल गौड) 

गुरुजी क़ा आत्मबल किसी देव पुरुष से कम नही हैं | गुरुजी की तबियत कुछ दिनों से खराब थी | ज्यादा चल नही पा रहे थे | उनके धारकरीयो ने उन्हें यह श्रीप्रतापगड_ते_श्रीरायरेश्वर का प्रवास गाड़ी द्वारा करने की विनंती किए थे | लेकिन गुरुजी नही माने, यह पूरा प्रवास हम लोगो के साथ पहाड़ से ही तय किए | गुरुजी चलते वक्त बिल्कुल भी नही रुकते है | औऱ हम सबसे पहले गढ़ पर पहुँच जाते हैं | गुरुजी को चलता देख थके हारे हम लोगो को भी ऊर्जा मिलती है | हम भी जयकारा लगाते हुए कदम बढ़ाने लगते है, घन्टो व्याख्यान भी देते हैं, सबसे मिलते है, प्रवास की व्यवस्था देखते है, सबकी खबर रखते है | 86 वर्ष की उम्र में भी उनकी स्मरण शक्ति तेज है | दूर दूर तक निगाहें जाती है | अनुशासन प्रिय गुरु जी के साथ आई तुळजा भवानी का आशीर्वाद है | गुरुजी में मुझे छत्रपति शिवाजी महाराज एवं संभाजी महाराज का भाव दिखता हैं | वो वर्तमान के सबसे बड़े चाणक्य है | लाखो की तादाद में चन्द्रगुप्त तैयार कर रहे है | उनके सिर्फ एक आवाज से पूरी भीड़ शांत हो जाती है | उनके गुस्से में भी लोगो के प्रति बहुत प्रेम है | धारकरी अपने गुरु जी के लिए कुछ भी कर सकते हैं | गजब कि सद्भावना है, प्रेम है, समर्पण है ऐसे महान कार्य से जुड़े सभी बन्धुओ एवं गुरुजी के चरणों मे प्रणाम.....|

- धीरज कुमार रामनवल गौड 
-श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान,
-घाटकोपर विभाग  
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